शनिवार, 7 अगस्त 2010

ReT NahiN hooN MaiN

reत   नहीं हूँ मैं
घुल जाने दो हवाओं में
आकाश में , जल में.
रेत नहीं हूँ मैं !
गुनगुनाउंगी लहराती फसलों में
जंगलों में बांसों के खोल से उभरूंगी  तान -सी
लपकती लपटों -सा लील लूंगी
सुलगते ख़यालों का धुंआ .
रेत नहीं हूँ मैं !